एक किसान ने जैसे ही,
अपने सांसदों के हाथों में
नोटों के बण्डल देखे,
बड़ी हीन भावना से चिल्लाया-
देखो! देखो! भागवान!
संसद को कैसे नंगा किया
यह इंसान!
पास खड़ी पत्नी चिल्लाई
बड़ी नेकी बखानते हो!
गये इलेक्सेन में
तुम भी तो
एक जोड़ी धोती के लिए
अपने वोट बेचते हो!।
शम्भु चौधरी
FD-453, Salt Lake City, Kolkata-700106
सादर अभिवादन शंभू जी
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पे फोटो लगा होने से उसके देर से खुलने की बात मानकर कुछ दिन के लिए मैने उसे हटा दिया था
आपकी बात वाजिब थी , पर अब मैने उसे एडिट कर उसका साइज़ काफ़ी छोटा कर डाला है , अब यथासंभव
वो दिक्कत नहीं आएगी
आपके प्रोफाइल से आपकी सक्रियता जानकार खुशी हुई
और अच्छी कविता के लिए आपको बधाई
ब्लॉग पर आते रहेंगे इसी उम्मीद के साथ
डॉ.उदय मणि कौशिक
http://mainsamayhun.blogspot.com
पास खड़ी पत्नी चिल्लाई
जवाब देंहटाएंबड़ी नेकी बखानते हो!
गये इलेक्सेन में
तुम भी तो
एक जोड़ी धोती के लिए
अपने वोट बेचते हो!।
बहुत ही सुन्दर लिखा है। बहुत-बहुत स्वागत है आपका।
नए चिट्टे की बधाई, लिखते रहें, और हिन्दी ब्लॉग्गिंग को समृद्ध करते रहें...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें
आपका मित्र
सजीव सारथी
शम्भू जी,
जवाब देंहटाएंसादर-नमस्कार!
आपकी कलम देखी और कलम की धार भी...
बहुत अच्छा लगा...
सुनीता शानू